लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पेश, विपक्ष ने किया विरोध

नई दिल्ली, जनमुख न्यूज़। लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पेश कर दिया गया है। इसे केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सदन में रखा, जिसके तुरंत बाद विपक्ष ने विरोध जताया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि विधेयक की प्रति उन्हें देर से मिली, जिससे वे इसकी समीक्षा नहीं कर सके।
विधेयक का उद्देश्य: पारदर्शिता और जवाबदेही
सरकार का कहना है कि इस संशोधन विधेयक का उद्देश्य देशभर के वक्फ बोर्डों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। इसमें मौजूदा वक्फ कानून में बदलाव किए गए हैं, ताकि संपत्ति के प्रबंधन में सुधार हो।
भारत में वक्फ संपत्तियों की स्थिति
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सदन में बताया कि भारत में वक्फ की संपत्तियां विशाल स्तर पर मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि देश में रेलवे और रक्षा क्षेत्र के बाद तीसरी सबसे अधिक जमीन वक्फ बोर्डों के पास है। लेकिन जहां रेलवे और रक्षा क्षेत्र की जमीनें राष्ट्र की संपत्ति होती हैं, वहीं वक्फ बोर्ड की संपत्तियां निजी मानी जाती हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि इतनी बड़ी संपत्ति होने के बावजूद इसका उपयोग गरीब मुस्लिमों के हित में क्यों नहीं हो रहा है।
2013 के वक्फ कानून संशोधन पर उठे सवाल
केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने चर्चा के दौरान 2013 में किए गए वक्फ कानून में बदलावों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार ने उस समय वक्फ बोर्डों को यह अधिकार दिया था कि उनके आदेश को किसी सिविल अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। उन्होंने आरोप लगाया कि अगर यह संशोधन नहीं किया जाता, तो संसद भवन, हवाई अड्डों और अन्य सरकारी संपत्तियों पर भी वक्फ बोर्ड दावा कर सकता था।
विपक्ष की आपत्तियां और विरोध
रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) की भूमिका पर सवाल उठाए। हालांकि, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने स्पष्ट किया कि नियमों के तहत जेपीसी को विधेयक में संशोधन करने का पूरा अधिकार है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की आपत्ति
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने विधेयक का कड़ा विरोध किया है। प्रवक्ता डॉ. सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा कि अगर यह विधेयक संसद में पारित होता है, तो वे देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने इसे भेदभावपूर्ण और सांप्रदायिक बताया और कहा कि विपक्ष के सुझावों को भी नजरअंदाज कर दिया गया है।
संसद भवन पर भी हो सकता था दावा?
रिजिजू ने बताया कि दिल्ली में 1970 से एक मामला लंबित था, जिसमें सीजीओ कॉम्प्लेक्स और संसद भवन समेत कई संपत्तियों पर वक्फ होने का दावा किया गया था। यूपीए सरकार ने 123 संपत्तियों को डी-नोटिफाई कर वक्फ बोर्ड को सौंप दिया था। उन्होंने कहा कि अगर मौजूदा सरकार यह संशोधन नहीं लाती, तो आज संसद भवन को भी वक्फ संपत्ति घोषित किया जा सकता था।
कांग्रेस का आरोप: ‘कानून जबरन थोपा जा रहा’
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार विधेयक को जबरन थोप रही है और सांसदों को पर्याप्त समय नहीं दिया गया।
अमित शाह का जवाब: ‘हमारी समिति चर्चा के बाद फैसले लेती है’
गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि यह विधेयक संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया था, जहां विचार-विमर्श के बाद बदलाव किए गए। उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि पहले समितियां सिर्फ मुहर लगाने का काम करती थीं, लेकिन अब लोकतांत्रिक तरीके से निर्णय लिए जाते हैं।
विपक्ष का तर्क: ‘मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया जा रहा’
समाजवादी पार्टी के सांसद बीरेन्द्र सिंह ने कहा कि यह विधेयक सिर्फ मुस्लिम समुदाय को टारगेट करता है। उन्होंने सवाल उठाया कि जमीन के मामलों में सिर्फ मुस्लिमों पर ही ध्यान क्यों दिया जा रहा है, जबकि हिंदू और ईसाई समुदायों में भी ऐसे मुद्दे मौजूद हैं।

