मशाल जुलूस निकालकर मानवाधिकार के प्रति लोगों को किया गया जागरूक

वाराणसी (रोहनिया/राजातालाब), जनमुख न्यूज़। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस की पूर्व संध्या पर लोक समिति, विश्व ज्योति जन संचार समिति के कार्यकर्ता और दिहाड़ी मजदूरों ने मंगलवार को पयागपुर गांव में मशाल जुलूस निकाली। सैकड़ो की संख्या में ग्रामीण गांव के दलित बस्ती में एकत्रित होकर सभा किया फिर हाथ में मशाल लेकर तख्ती, बैनर के साथ गांव की विभिन्न बस्तियों में रैली निकाली। इस दौरान लोगों ने रोटी कपड़ा और मकान, माँग रहा मजदूर किसान,भीख नही अधिकार चाहिये जीने का सम्मान चाहिए, जुल्म करेंगे नहीं जुल्म सहेंगें नही आदि नारे लगाकर मानवाधिकार के प्रति ग्रामीणों को जागरूग किया। सभा में विश्व ज्योति जन संचार समिति के निदेशक फादर प्रवीण ने कहा कि सभी को बिना भेदभाव के जीने का अधिकारी होना चाहिए। आज भी कुल मजदूरों के 93% प्रतिशत मजदूर असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं, जिनकी कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं है। वे गरीबी से भयंकर रूप से लड़ रहे हैं. जिनके मानवाधिकारों की रक्षा करना जरुरी है।
इस अवसर प्रेरणा कला मंच द्वारा मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास पर आधारित नाटक प्रेम की बोली बोल प्रस्तुत किया। लोक समिति संयोजक नन्दलाल मास्टर ने कहा कि मानवाधिकार यह सुनिश्चित करता है कि हर व्यक्ति को भोजन के साथ सम्मान मिले। देश में संविधान के अनुसार बिना किसी भेदभाव के समान अधिकार एवं समान अवसर उपलब्ध कराए जाएं. संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतर्राष्ट्रीय मानवधिकार दिवस की 10 दिसंबर 1948 की घोषण की थी. यह एक सार्वभौमिक घोषणा पत्र है, जो मानव अधिकारों के प्रति लड़ाई लड़ता है. मानवाधिकार दिवस मनाने का मुख्य उद्देशय लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है।
कार्यक्रम में मुख्यरूप से अनीता, सुनील, मनीष, श्यामसुन्दर, रामबचन, शिवकुमार, सोनी, आशा, अनीता, मनीषा, अरविन्द, विमला, निर्मला, चंदा, राधा, राधिका, सीमा, आशा, रीना, अजय पाल, अजीत,सुजीत, रणजीत, किशन, गणेश, अशोक, विजय प्रकाश, फादर प्रवीण आलोक, नन्दलाल मास्टर, बेबी, मैनब, सिताबुन, मोहम्मद शहजाद मनीषा आदि लोग शामिल रहे। कार्यक्रम का सोनी अध्यक्षता सीमा और धन्यवाद अनीता पटेल ने किया। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस की पूर्व संध्या पर लोक समिति, विश्व ज्योति जन संचार समिति के कार्यकर्ता और दिहाड़ी मजदूरों ने मंगलवार को पयागपुर गांव में मशाल जुलूस निकाली। सैकड़ो की संख्या में ग्रामीण गांव के दलित बस्ती में एकत्रित होकर सभा किया फिर हाथ में मशाल लेकर तख्ती, बैनर के साथ गांव की विभिन्न बस्तियों में रैली निकाली। इस दौरान लोगों ने रोटी कपड़ा और मकान, माँग रहा मजदूर किसान,भीख नही अधिकार चाहिये जीने का सम्मान चाहिए, जुल्म करेंगे नहीं जुल्म सहेंगें नही आदि नारे लगाकर मानवाधिकार के प्रति ग्रामीणों को जागरूग किया।
सभा में विश्व ज्योति जन संचार समिति के निदेशक फादर प्रवीण ने कहा कि सभी को बिना भेदभाव के जीने का अधिकारी होना चाहिए। आज भी कुल मजदूरों के 93% प्रतिशत मजदूर असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं, जिनकी कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं है। वे गरीबी से भयंकर रूप से लड़ रहे हैं. जिनके मानवाधिकारों की रक्षा करना जरुरी है।इस अवसर प्रेरणा कला मंच द्वारा मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास पर आधारित नाटक प्रेम की बोली बोल प्रस्तुत किया। लोक समिति संयोजक नन्दलाल मास्टर ने कहा कि मानवाधिकार यह सुनिश्चित करता है कि हर व्यक्ति को भोजन के साथ सम्मान मिले।
देश में संविधान के अनुसार बिना किसी भेदभाव के समान अधिकार एवं समान अवसर उपलब्ध कराए जाएं. संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतर्राष्ट्रीय मानवधिकार दिवस की 10 दिसंबर 1948 की घोषण की थी. यह एक सार्वभौमिक घोषणा पत्र है, जो मानव अधिकारों के प्रति लड़ाई लड़ता है. मानवाधिकार दिवस मनाने का मुख्य उद्देशय लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से अनीता, सुनील, मनीष, श्यामसुन्दर, रामबचन, शिवकुमार, सोनी, आशा, अनीता, मनीषा, अरविन्द, विमला, निर्मला, चंदा, राधा, राधिका, सीमा, आशा, रीना, अजय पाल, अजीत,सुजीत, रणजीत, किशन, गणेश, अशोक, विजय प्रकाश, फादर प्रवीण आलोक, नन्दलाल मास्टर, बेबी, मैनब, सिताबुन, मोहम्मद शहजाद मनीषा आदि लोग शामिल रहे। कार्यक्रम का सोनी अध्यक्षता सीमा और धन्यवाद अनीता पटेल ने किया।

