लोकसभा में वंदे मातरम पर गरमाई सियासत: राजनाथ सिंह का कांग्रेस पर बड़ा हमला, बोले—‘इतिहास के साथ हुआ बड़ा छल’

नई दिल्ली, जनमुख न्यूज़। शीतकालीन सत्र के दौरान सोमवार को लोकसभा में वंदे मातरम पर विशेष चर्चा हुई। चर्चा के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि वंदे मातरम के साथ इतिहास में बड़ा छल किया गया, फिर भी इस गीत का महत्व कभी कम नहीं हुआ।
राजनाथ सिंह ने कहा कि जब देश वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर चर्चा छेड़कर एक “खूबसूरत शुरुआत” की है। उन्होंने कहा कि यह गीत सिर्फ एक पंक्ति नहीं, बल्कि भारत के अतीत, वर्तमान और भविष्य की आत्मा है, जिसने स्वतंत्रता सेनानियों को अंग्रेजों के खिलाफ खड़े होने का साहस दिया।
उन्होंने याद दिलाया कि 1906 में बनाए गए भारत के पहले झंडे पर वंदे मातरम लिखा था, और ‘वंदे मातरम’ नाम से एक अखबार भी बंगाल में प्रकाशित होता था। यह भावना पूरे देश में पूरब से पश्चिम तक फैल चुकी थी और विदेशों में भी गाई जाती थी।
“कहीं भी मूर्ति पूजा का उल्लेख नहीं”
राजनाथ सिंह ने बंगाल की संस्कृति का जिक्र करते हुए बंकिम चंद्र चटोपाध्याय की इस रचना की पंक्तियों की व्याख्या की। उन्होंने कहा कि गीत में कहीं भी मूर्ति पूजा की बात नहीं है, लेकिन फिर भी इसे तुष्टीकरण की राजनीति का शिकार बनाया गया।
उन्होंने कहा कि आज़ादी के आंदोलन के दौरान कांग्रेस के कुछ “तथाकथित सेक्युलर नेताओं” को भारतीय संस्कृति और परंपराएं सांप्रदायिक दिखाई देती थीं। वंदे मातरम भी इसी पूर्वाग्रह का शिकार बना।
“वंदे मातरम को वह न्याय नहीं मिला जिसका हकदार था”
रक्षा मंत्री ने आरोप लगाया कि आज़ादी के बाद वंदे मातरम को हाशिये पर डाल दिया गया, जबकि जन-गण-मन को राष्ट्रीय भावना में प्रमुखता दी गई।
उन्होंने कहा कि “वंदे मातरम अपने आप में पूर्ण है, लेकिन इसे अपूर्ण बनाने की कोशिश की गई। इतिहास में इसके साथ बड़ा छल हुआ।”
राजनाथ सिंह ने कहा कि अब समय आ गया है कि वंदे मातरम को उसकी “पुरानी शान” वापस दिलाई जाए। उन्होंने विश्वास जताया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में वंदे मातरम को वह दर्जा मिलेगा जिसका यह हकदार है।
नेहरू से जुड़ा किस्सा भी सुनाया
अपने भाषण के दौरान राजनाथ सिंह ने एक किताब का हवाला देते हुए पंडित जवाहरलाल नेहरू से जुड़ा एक किस्सा साझा किया। उन्होंने बताया कि एक समय विदेश मंत्रालय की बैठक में नेहरू से पूछा गया कि अगर कम्युनिस्ट सत्ता में आ जाएं तो क्या होगा?
नेहरू ने जवाब दिया कि भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा “हिंदू दक्षिणपंथी कम्युनलिज्म” है, न कि कम्युनिज्म।
राजनाथ ने कहा कि इतिहास ने साबित कर दिया कि दक्षिणपंथी विचारधारा ने हमेशा संविधान के अनुरूप काम किया।
वामपंथी चरमपंथ पर हमला
रक्षा मंत्री ने कहा कि कम्युनिस्ट विचारधारा से जन्मा उग्रवाद कई राज्यों को दशकों पीछे ले गया और पिछली सरकारें इसका समाधान नहीं ढूंढ सकीं।
उन्होंने दावे के साथ कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में अब यह उग्रवाद खत्म होने की कगार पर है।

