राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उठाए सवाल, राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों को लेकर मांगा स्पष्टीकरण

नई दिल्ली, जनमुख न्यूज़। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 8 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए एक अहम फैसले पर गंभीर आपत्ति जताई है। यह फैसला तमिलनाडु सरकार बनाम राज्यपाल मामले में आया था, जिसमें अदालत ने कहा था कि राज्यपाल और राष्ट्रपति को उनके पास भेजे गए विधेयकों पर एक निश्चित समयसीमा में निर्णय लेना होगा। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद राजनीतिक और संवैधानिक बहस छिड़ गई।
राष्ट्रपति मुर्मू ने इस फैसले पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि भारतीय संविधान में ऐसी कोई स्पष्ट समयसीमा का प्रावधान नहीं है, फिर सुप्रीम कोर्ट किस आधार पर यह निर्णय दे सकता है। उन्होंने कोर्ट से पूछा है कि क्या वह राष्ट्रपति और राज्यपाल की संवैधानिक शक्तियों में इस प्रकार का हस्तक्षेप कर सकता है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि राज्यपाल के पास किसी विधेयक को अनिश्चितकाल तक रोकने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर कोई विधेयक राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है, तो उसे तीन महीने के भीतर उस पर निर्णय लेना होगा। यदि समयसीमा में निर्णय नहीं लिया जाता है, तो राष्ट्रपति को राज्य को इसका कारण बताना होगा।
कोर्ट ने यह भी कहा था कि राष्ट्रपति उस विधेयक को पुनर्विचार के लिए विधानसभा को लौटा सकते हैं, लेकिन अगर वह विधेयक दोबारा पारित होता है तो उस पर अंतिम फैसला लेना राष्ट्रपति की संवैधानिक जिम्मेदारी होगी। कोर्ट ने अनुच्छेद 201 के तहत राष्ट्रपति के निर्णय की न्यायिक समीक्षा को भी संभव बताया।
राष्ट्रपति मुर्मू द्वारा सुप्रीम कोर्ट से पूछे गए 14 सवाल:
1. अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के पास कौन-कौन से विकल्प होते हैं?
2. क्या राज्यपाल को निर्णय लेते समय मंत्रिपरिषद की सलाह का पालन करना आवश्यक है?
3. क्या अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के निर्णयों की न्यायिक समीक्षा हो सकती है?
4. क्या अनुच्छेद 361, अनुच्छेद 200 के तहत लिए गए निर्णयों की समीक्षा पर रोक लगाता है?
5. क्या अदालतें राज्यपाल के फैसलों के लिए समयसीमा तय कर सकती हैं, जबकि संविधान में इसका प्रावधान नहीं है?
6. क्या अनुच्छेद 201 के तहत राष्ट्रपति के निर्णय की समीक्षा हो सकती है?
7. क्या अदालतें राष्ट्रपति के निर्णय की समयसीमा तय कर सकती हैं?
8. क्या राज्यपाल द्वारा विधेयक सुरक्षित रखने की स्थिति में सुप्रीम कोर्ट से अनुच्छेद 143 के तहत राय ली जा सकती है?
9. क्या अनुच्छेद 200 और 201 के तहत लिए गए फैसलों पर अदालतों में पहले से सुनवाई संभव है?
10. क्या सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 142 के तहत राष्ट्रपति और राज्यपाल की शक्तियों में बदलाव कर सकता है?
11. क्या राज्य सरकार राज्यपाल की मंजूरी के बिना विधेयक को कानून बना सकती है?
12. क्या अनुच्छेद 145(3) के तहत सुप्रीम कोर्ट की पीठ संवैधानिक मुद्दों को पांच जजों की पीठ को भेज सकती है?
13. क्या सुप्रीम कोर्ट ऐसा आदेश दे सकता है जो संविधान या मौजूदा कानूनों से मेल न खाता हो?
14. क्या अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र और राज्य के बीच विवाद सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ही सुलझा सकता है?

