संकटमोचन संगीत समारोह: कथक, सितार और ध्रुपद की त्रिवेणी से झूम उठे श्रोता

वाराणसी, जनमुख न्यूज़। संकटमोचन संगीत समारोह के चौथे दिन की शुरुआत राजगढ़ घराने की प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना बी. अनुराधा सिंह की मनमोहक प्रस्तुति से हुई। उन्होंने भगवान शिव की वंदना से अपने नृत्य की शुरुआत की, जिसमें शूलताल की पांच मात्राओं पर आधारित रचना प्रस्तुत की। इस रचना में उन्होंने घुंघरुओं की पांच अलग-अलग आवाज़ों का अद्भुत संयोजन दिखाया।
इसके बाद श्रीकृष्ण और राधा के प्रेमपूर्ण प्रसंग तथा कालिया मर्दन की कथा को कथक के माध्यम से जीवंत किया। आमद, टुकड़ा, तिहाई, परन, चक्करदार परन और फरमाइशी परन जैसी पारंपरिक कथक शैलियों की सधी हुई प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। राग कलावती में निबद्ध ठुमरी पर आधारित नृत्य ने होली के रंगीन माहौल को मंच पर साकार कर दिया।
दूसरी प्रस्तुति में प्रख्यात सितार वादक प्रो. साहित्य कुमार नाहर ने वायलिन वादक संतोष कुमार नाहर के साथ जुगलबंदी प्रस्तुत की। तबले पर पं. रामकुमार मिश्र और पं. राजकुमार नाहर ने सधी हुई संगत दी। प्रो. नाहर ने राग वाचस्पति की प्रभावशाली प्रस्तुति देते हुए आलाप, जोड़ आलाप और झाला के जरिए सितार की विशिष्ट शैली को प्रस्तुत किया। इसके पश्चात मिश्र खमाज राग में पारंपरिक धुन के साथ उन्होंने अपनी प्रस्तुति का समापन किया।
तीसरी प्रस्तुति डागर घराने के प्रसिद्ध ध्रुपद गायक उस्ताद वसीफुद्दीन डागर की रही। उन्होंने राग चंद्रकौश की आलाप के माध्यम से गूढ़ प्रस्तुति दी, जिसमें श्रोताओं को विशेष आध्यात्मिक अनुभूति हुई। उनके साथ पखावज पर संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने संगत की और अपनी अनोखी ताल शैली से कार्यक्रम को ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया।

