भूकंप पीड़ितों का तीर्थ स्थान है ‘स्मृतिवन’

आइए आज हम आपको ले चलते हैं गुजरात के भुज शहर। पाकिस्तान के सबसे निकट के जिले कच्छ के इस शहर में वैसे तो देखने के लिए बहुत कुछ है। लेकिन २००१ में आए भूकंप की त्रासदी को समझने और भविष्य के लिए उससे सीखने के उद्देश्य से बना गए म्यूजियम और स्मारक स्थल ‘स्मृति वन’ अपने आप में एक अद्भुद और आधुनिक प्रेरणा स्थल है। जिसे देखने के लिए प्रतिदिन सैकड़ों लोग यहां आते है। गुजरात के भुज में २६ जनवरी २००१ को आया भीषण भूकंप देश में आयी बड़ी प्राकृमिक आपदाओं में से एक हैैंं । जिसमें १३ हजार से ज्यादा लोगों की जान गयी थी। कच्छ जिले का यह इलाका पूरी तरह तबाह हो गया था लेकिन सरकार की कोशिशों और लोगों की इच्छा शक्ति से यह शहर एक बार फिर खड़ा हो गया और २००१ की भूकंप की त्रासदी बीते दिनों की बात हो गयी। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर लोगों इस त्रासदी से अवगत कराने के साथ भविष्य की तैयारियों के मद्देनजर ‘स्मृति वन’ नाम से एक विशाल म्यूजिम और स्मारक तैयार किया गया। यहां आकर बच्चों से बड़े तक पृथ्वी के निर्माण से लेकर उसके सामाप्त होने तथा प्राकृतिक आपदाओं के कारणों और उससे बचने के उपायों की जानकारी छोटी-छोटी फिल्मोंं के माध्यम से ग्रहण करते है। स्मृति वन लोगों को प्रकृति के साथ छेड़-छाड़ के खतरों से भी आगाह करता है। ४७० एकड़ में इस स्मारक और संग्रहालय को देश का सबसे बड़ा और आधुनिक संग्रहालय कहा जा सकता है। इस स्मारक में ३ लाख से अधिक पौधों वाला दुनिया का सबसे बड़ा मियावाकी वन भी तैयार किया गया है। इसके साथ ही ५० चेक-डैम जलाशय बनाए गए हैं जिसमें २००१ के भूकंप के लगभग १३,००० पीड़ितों की नेम प्लेटें हैं। संग्रहालय की बात करें तो इसके प्रथम तल पर भुजंग के आकर की संरचना इसके प्रवेश द्वार को आकर्षक बनाती है। जबकि इसके प्रत्येक तल पर पृथ्वी के निर्माण, जीवन, और प्रत्येक तत्वों के पुनर्जन्म के साथ-साथ प्राकृतिक घटनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है। ११,५०० वर्ग मीटर में बने स्मृतिवन भूकंप संग्रहालय में ७ अलग-अलग ब्लॉक हैं जिनमें से हर एक अद्वितीय, शैक्षिक, इंटरैक्टिव और सीधे विज्ञान की जानकारी देते हैं। प्रथम दीर्घा में हमें पृथ्वी के विकास के इतिहास, लाखों वर्षों में भू-आकृतियों के उद्भव और जिस भूमि पर हम रहते हैं उसकी उत्पत्ति के बारे में बताया गया है। रिडिस्कवर ब्लॉक के माध्यम से, हमें कच्छ की लचीली प्रकृति, गुजरात के लोगों की अभिनव भावना और गुजरात में कई प्राकृतिक घटनाओं के कारणों का की जानकारी मिलती है। अगले ब्लाक में हमें २००१ के भुज भूकंप की दुखद घटनाओं का वर्णन मिलता है। भूकंप के बाद की तत्काल बचाव और राहत गतिविधियों को भी प्रस्तुत किया गया है। इस ब्लाक में भूकंप से बचे लोगों की विविध गवाहियों और यादों और पूरे गुजरात और भारत के पीड़ितों के प्रियजनों की यादों को क्रमवार रखा गया है। जिसमें यहां आने लोग डूूब जाते हैं या यूं कहें कि उनके सामने २००१ की घटना सचित्र घटित होती मालूम पड़ती है। पुनर्निर्माण ब्लॉक हमें दीर्घकालिक आपदा शमन के लिए गुजरात के पुनर्निर्माण, पुनर्निर्माण और पुनर्जीवित करने की सामूहिक प्रक्रिया की व्यापक जानकारी देता है। यह २००१ के भूकंप के बाद गुजरात के पुनर्निर्माण की दिशा में किए गए सामूहिक प्रयास को भी दर्शाता है। रीथिंक ब्लॉक हमें गेम और इंटरैक्टिव गतिविधियों के माध्यम से वैश्विक आपदा प्रतिक्रिया और तैयारी के उपायों को बताया जाता है। इसके साथ ही प्राकृतिक घटनाओं के प्रति भारत की संवेदनशीलता, विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में विभिन्न प्राकृतिक खतरों और हम इसके लिए खुद को कैसे तैयार कर सकते हैं, की भी जानकारी दी गयी है। संग्रहालय के रिलाईव सेक्शन मेंअत्याधुनिक ३६०-डिग्री के पर्दे पर आप अपने सामने २००१ की भूकंप की घटना को थ्रीडी की तरह न सिर्फ देख पाते हैं बल्कि भूकंप के झटके भी महसूस करते हैं। जो आपकों भविष्य में ऐसी किसी भी प्राकृतिक आपदा के लिए न सिर्फ सचेत करती हुई जान पड़ती है बल्कि इसके लिए आपकों अंदर तक पूर तरह हिला देती है। संग्रालय के सबसे अंत में बनाए गए यादों और श्रद्धाजलि ब्लाक में आप भुज आपदा में मारे गए लोगों में एक साथ पांच लोगों को श्रद्धांजलि दे सकते हैं। यहां अत्याधुनिक डिजिटल लौ जलाती है जो डिजिटल एलईडी दीवारों के माध्यम से छत तक जाएगी और एक संयुक्त प्रकाश बनाएगी। इस सेक्शन में आप आत्याुनिक तकनीक से लुभावने, और देखने लायक दृश्य आपको बार-बार इस संग्रहालय में आने के लिए आकर्षित करते हैं। वैसे इस संग्रहालय की फीस ३०० रखी गयी है। लेकिन इस संग्रहालय में बने लाइब्रेरी में आप २० रूपए में देश दुनिया कि तमाम किताबें पढ़ सकते हैं। इस संग्रहालय के बारे में यह कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना को आत्याधुनिक तरीके भुज की इस पहाड़ी पर बड़े ही करीने से उतारा गया है।

इसे भी पढ़े-
गुजरात पर्यटन की शान बनता जा रहा ‘रण उत्सव’

। स्पेशल रिर्पोेट: सरोज सिनहा। अगर आप भी कभी न भूलने वाला अनुभव हासिल करना चाहते हैं तो अब बैगपैक Read more

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *