‘कभी खुद को आरएसएस का एकलव्य बताते हैं, कभी सरकार के प्रवक्ता बन जाते हैं’। विपक्ष ने बताई धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की वजह

नई दिल्ली,जनमुख न्यूज। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर इंडिया गठबंधन ने आज पत्रकारों से बातचीत की और अविश्वास प्रस्ताव के कारणों के बारे में विस्तार से बताया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सभापति राज्यसभा में स्कूल के हेडमास्टर की तरह व्यवहार करते हैं। विपक्ष का सांसद ५ मिनट भाषण दे तो वे उस पर १० मिनट तक टिप्पणी करते हैं। ३ साल में धनखड़ का आचरण पद की गरिमा के विपरीत रहा है। कभी सरकार के प्रवक्ता बन जाते हैं कभी खुद को आरएसएस का एकलव्य बताते हैं। ऐसी बयानबाजी उनके पद को शोभा नहीं देती।
जब भी विपक्ष सवाल पूछता है तो मंत्रियों से पहले चेयरमैन खुद सरकार की ढाल बनकर खड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में नियमों से ज्यादा राजनीति हो रही है। सभापति पक्षपातपूर्ण व्यवहार करते हैं। राज्यसभा में व्यवधान का कारण खुद सभापति हैं। खरगे ने कहा कि सदन में राज्यसभा अध्यक्ष के आचरण ने देश की गरिमा को नुकसान पहुंचाया है।
उनके खिलाफ हमारी कोई निजी दुश्मनी, द्वेष या राजनीतिक लड़ाई नहीं है। देश के नागरिकों को हम विनम्रता से बताना चाहते हैं कि हमने सोच-विचारकर संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए मजबूरी में ये कदम उठाया है।कांग्रेस अध्यक्ष बोले कि हमारी उनसे कोई व्यक्तिगत दुश्मनी या राजनीतिक लड़ाई नहीं है। हम देशवासियों को बताना चाहते हैं कि हमने लोकतंत्र, संविधान की रक्षा के लिए और बहुत सोच-समझकर यह कदम उठाया है। उपराष्ट्रपति भारत में दूसरा सबसे बड़ा सांविधानिक पद है। १९५२ के बाद से उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए कोई प्रस्ताव नहीं लाया गया है।क्योंकि सभी सभापति हमेशा निष्पक्ष और राजनीति से परे रहे हैं। उन्होंने हमेशा सदन को नियमों के अनुसार चलाया। लेकिन आज सदन में नियमों से ज्यादा राजनीति हो रही है।डीएमके सांसद तिरुचि शिवा ने कहा कि संसद में सत्ताधारी पार्टी द्वारा इस देश के लोकतंत्र पर जबरदस्त हमला किया जाता है और वे सभापति की ओर से संरक्षित होते हैं। यह बहुत दुखद है। हमने पहले भी अनुभव किया है जब भाजपा विपक्ष में थी और जब कांग्रेस भी विपक्ष में थी। जब भी विपक्षी नेता बोलने के लिए खड़े होते हैं या तुरंत बोलने की पेशकश करते हैं, तो विपक्षी नेता को मंच दिया जाता है और कोई भी बाधा नहीं डालता। देश में क्या चल रहा है, हमें बोलने की बिल्कुल भी अनुमति नहीं है। इसका मतलब है कि यह संसदीय लोकतंत्र और इस देश के लोकतंत्र के लिए एक झटका है।आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव किसी व्यक्ति के बारे में नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांत की बहाली को लेकर है। अगर आपने पिछले दो दिनों की कार्यवाही देखी है, कुछ लोगों ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया है, जिनका हम सम्मान करते हैं। यह न केवल पीड़ा देता है बल्कि हम यह भी सोचते हैं कि अगर आने वाले दिनों में सत्ता परिवर्तन होता है, तो क्या हम लोकतंत्र की मरम्मत और बहाली कर पाएंगे।
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा सदन में मैं २२ साल से हूं और ४ चेयरमैन मैंने देखे हैं। आज जो हालात देख रहा हूं, पहले कभी नहीं देखा। हमारे चेयरमैन साहब मजा लेते हैं। वो संसद नहीं, सर्कस चला रहे हैं।

