बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया ब्रेक,जारी की गाइडलाइन

नई दिल्ली, जनमुख न्यूज । अपना घर हो अपना आंगन हो ,इस ख्वाब मे हर कोई जीता है। इंसान के दिल की ये चाहत है कि एक घर का सपना कभी न छुटे, कवि प्रदीप इन लाइनों के साथ आज सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाने का बड़ा फैसला दिया । बुलडोजर कार्रवाई काफी समय से विवादों में घिरी हुई है। बुलडोजर कार्रवाई को लेकर काफी ज्यादा राजनीति भी हुई हैं। ऐसे में अब बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ मुद्दा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जिस पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट का स्टेटमेंट आया हैं। उच्चतम न्यायालय ने ‘बुलडोजर न्याय’ के मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि कार्यपालिका न्यायपालिका की जगह नहीं ले सकती और कानूनी प्रक्रिया को किसी आरोपी के अपराध का पूर्वाग्रह से आकलन नहीं करना चाहिए।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कार्यपालिका न्यायपालिका को दरकिनार नहीं कर सकती और इस बात पर जोर दिया कि ‘कानूनी प्रक्रिया को आरोपी के अपराध के बारे में पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं होना चाहिए। शीर्ष अदालत आरोपी व्यक्ति के खिलाफ सुधारात्मक उपाय के रूप में ‘बुलडोजर’ कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान, अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि कार्यपालिका न्यायनिर्णयन की भूमिका नहीं निभा सकती, उन्होंने कहा कि केवल आरोपों के आधार पर किसी नागरिक के घर को मनमाने ढंग से ध्वस्त करना संवैधानिक कानून और शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन है।अदालत ने कहा निष्पक्ष सुनवाई के बिना किसी को भी दोषी नहीं ठहराया जा सकता। सभी के लिए उपलब्ध सुरक्षा को मजबूत करते हुए, जिसमें आरोपी या दोषी भी शामिल हैं। अदालत ने चेतावनी दी कि ऐसे मामलों में कार्यपालिका का अतिक्रमण मूलभूत कानूनी सिद्धांतों को बाधित करता है। अदालत ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जब अधिकारी अपने अधिकार से परे काम करते हैं तो उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। इस तरह की मनमानी कार्रवाई खास तौर पर न्यायिक आदेश के अभाव में कानून के शासन को कमजोर करती है।

