इलाहाबाद हाईकोर्ट में फैसले में देरी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, सभी हाईकोर्ट से मांगी रिपोर्ट

नई दिल्ली, जनमुख न्यूज़। इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक मामले का फैसला समय पर न सुनाने पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह स्थिति बेहद चौंकाने वाली और चिंताजनक है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से उन मामलों की सूची मांगी है, जिनमें तीन महीने से अधिक समय तक फैसला सुरक्षित रखा गया लेकिन सुनाया नहीं गया।
न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस मामले पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दिसंबर 2021 में आपराधिक अपील पर बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया, लेकिन लगभग एक साल तक कोई निर्णय नहीं दिया गया। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों के कारण वादी का न्यायपालिका से विश्वास उठने लगता है।
पीठ ने याद दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट ने 2001 के अनिल राय बनाम बिहार राज्य केस में समय पर फैसले सुनाने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए थे। अब उन्हीं दिशा-निर्देशों को दोहराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि किसी मामले में तीन महीने तक फैसला नहीं सुनाया जाता है, तो रजिस्ट्रार जनरल उसे मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखें। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश संबंधित पीठ को दो सप्ताह के भीतर आदेश देने का निर्देश देंगे। अगर इसके बावजूद निर्णय नहीं होता, तो मामला किसी अन्य पीठ को सौंप दिया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि यह आदेश सभी उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल तक पहुंचाया जाए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी मामले में छह महीने तक फैसला लंबित रहने पर वादी पक्ष मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध कर सकता है कि मामला वापस लेकर नई पीठ को सौंपा जाए।
यह निर्देश रविंद्र प्रताप शाही की याचिका की सुनवाई के दौरान आया। याचिकाकर्ता ने कहा था कि 2008 से बार-बार अनुरोध और नौ अलग-अलग आवेदनों के बावजूद अपील का अंतिम निस्तारण नहीं हुआ। शीर्ष अदालत ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 24 दिसंबर 2021 को आदेश सुरक्षित रखा था, लेकिन एक साल से अधिक समय तक कोई फैसला नहीं सुनाया गया और बाद में भी सुनवाई बार-बार स्थगित होती रही।

