सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: आधार कार्ड से बनेगा वोटर, लेकिन नागरिकता का सबूत नहीं

नई दिल्ली, जनमुख न्यूज़। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण मामले की सुनवाई के दौरान साफ किया कि आधार कार्ड को मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए पहचान पत्र के रूप में स्वीकार किया जाएगा, लेकिन इसे नागरिकता का सबूत नहीं माना जा सकता।
अदालत ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज के रूप में मान्यता दी जाए। अब मतदाता सूची में नाम शामिल कराने के लिए लोग आधार कार्ड भी प्रस्तुत कर सकेंगे। इससे पहले चुनाव आयोग ने 11 दस्तावेजों की सूची तय की थी, जिसमें आधार शामिल नहीं था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग को आधार कार्ड की वैधता जांचने का पूरा अधिकार होगा और केवल वास्तविक नागरिकों को ही मतदाता सूची में शामिल किया जाएगा। अदालत ने साफ किया कि जाली दस्तावेजों के आधार पर कोई भी नागरिकता का दावा नहीं कर सकेगा।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने यह आदेश जारी करते हुए कहा कि पासपोर्ट और जन्म प्रमाणपत्र को छोड़कर चुनाव आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त अन्य दस्तावेज भी नागरिकता का प्रमाण नहीं हैं।
चुनाव आयोग द्वारा मान्य दस्तावेज:
1. सरकारी/सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मियों के पहचान पत्र, पेंशन भुगतान आदेश
2. 1 जुलाई 1987 से पहले जारी सरकारी/बैंक/पोस्टऑफिस/एलआईसी/पीएसयू के आईकार्ड
3. जन्म प्रमाणपत्र (सक्षम प्राधिकार से जारी)
4. पासपोर्ट
5. शैक्षिक प्रमाणपत्र (मैट्रिक व अन्य)
6. स्थायी आवासीय प्रमाणपत्र
7. वन अधिकार प्रमाणपत्र
8. ओबीसी/एससी/एसटी जाति प्रमाणपत्र
9. राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (जहां उपलब्ध)
10. पारिवारिक रजिस्टर (राज्य/स्थानीय प्राधिकार से जारी)
11. भूमि/मकान आवंटन प्रमाणपत्र
अब इस सूची में आधार कार्ड (12वां दस्तावेज) भी शामिल होगा।
राजद और अन्य याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि आधार को मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए स्वीकार किया जाए। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया था कि पहले बूथ लेवल अधिकारी आधार को मान्य नहीं कर रहे थे, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को सभी अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी करने के आदेश दिए।

