हर व्यक्ति की पहचान गरिमामय है और उसकी स्वीकृति समाज के लिए अनिवार्य

वाराणसी, जनमुख न्यूज़। बनारस क्वीयर प्राइड, समाज कार्य एवं समाजशास्त्र विभाग, बी.एच.यू के संयुक्त तत्वावधान में “सफ़र रंगों का : पहचान, कला और संवाद – अभिव्यक्ति के अनेक रंग” विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन संबोधी सभागार, समता भवन, सामाजिक विज्ञान संकाय, बी.एच.यू. में किया गया।
इस संगोष्ठी का उद्देश्य विविध लैंगिक पहचानों, कला-आधारित अभिव्यक्तियों, समुदाय के अनुभवों तथा समानता व सम्मान आधारित संवाद को एक साझा मंच पर लाना था, ताकि विश्वविद्यालय परिसर और शहर में समावेशी वातावरण के निर्माण को बढ़ावा मिल सके।
कार्यक्रम की शुरुआत स्वागत उद्बोधन के साथ हुई, जिसके बाद मुख्य अतिथियों एवं वक्ताओं ने क्वीयर समुदाय से जुड़े महत्वूपर्ण मुद्दों जैसे पहचान, सामाजिक संरचनाएँ, समुदाय, प्रतिरोध, कला, साहित्य, जाति, पितृसत्ता और लोकतांत्रिक अधिकारों पर अपने विचार रखे।
सत्र के दौरान पैनलिस्ट ने सक्रिय रूप से अपनी बात रखी। चर्चा के दौरान “प्रो संजय ने कहा, किसी भी समाज की प्रगति तभी संभव है जब हर व्यक्ति अपनी पहचान के साथ सुरक्षित और सम्मानित महसूस करे। क्वीयर समुदाय की आवाज़ सुने बिना समावेशन अधूरा है।”
आगे प्रो श्रद्धा ने कहा, हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम ऐसा माहौल बनाएं जिसमें कोई भी व्यक्ति अपनी पहचान छुपाने के लिए मजबूर न हो। संवाद ही परिवर्तन का सबसे शक्तिशाली तरीका है।
इसी क्रम में युवाओं ने भी अपने अनुभव साझा किए। अनन्या मीठी ने कहा, कभी-कभी सबसे कठिन संघर्ष खुद को स्वीकार करना होता है। विश्वविद्यालय जैसे स्पेस को सभी के लिए सुरक्षित और संवेदनशील बनाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
आगे आर्या ने कहा क्वीयर होने का सफर सिर्फ अपने लिए जगह बनाने का नहीं, बल्कि उन दीवारों को तोड़ने का भी है जिन्हें समाज ने अनजाने में खड़ा किया है। संवाद ही वह पुल है जो हमारे अनुभवों और समाज की समझ के बीच दूरी को कम करता है।
बनारस क्वियर प्राइड के वरिष्ठ साथी मूसा आज़मी ने कहा कि पूर्वांचल में बीएचयू को महामना की बगिया के तौर पर बतलाया जाता है। इस बगिया में कई रंग के फूल हमेशा से रहे है। आज इस बगीचे में क्वियर समुदाय का सतरंगी रंग भी जुड़ गया। वास्तव में कहा जाए कि एकरंगी होती भारतीय राजनीति में BHU से ये बहुरंगी संदेश दिया है।
संगोष्ठी में कई संगठनों, समूहों और संस्थाओं की उपस्थिति रही, जिनमें सीनेफाइल, उम्मीद फाउंडेशन, प्रिज्मेटिक फाउंडेशन, दखल, एनएसयूआई, AISA, आदि प्रमुख रहे।
कार्यक्रम को सफल बनाने में कई स्वयंसेवकों का योगदान उल्लेखनीय रहा, जिनमें अनामिका, सैम, जानवी, नितिन, तान्या, अभिनव ,कृष्ण, टैन, राधा, रूमान, प्रियंका , सुमन, धनंजय, सचिन, सौरभ, आदित्य, वंदना एड० बाबू अली साबरी, रौशन, नीरज, गौरव पुरोहित के साथ सैकड़ों लोग विशेष रूप से शामिल रहे।

कार्यक्रम का संचालन दीक्षा और आर्या ने किया और धन्यवाद ज्ञापन नीति ने दिया। इस संगोष्ठी के माध्यम से बनारस क्वीयर प्राइड ने यह महत्वपूर्ण संदेश दिया कि विविधता, संवाद, सम्मान और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ही एक समावेशी समाज की आधारशिला हैं।
कार्यक्रम ने यह भी रेखांकित किया कि हर व्यक्ति की पहचान गरिमामय है और उसकी स्वीकृति समाज के लिए अनिवार्य है।

