कुंभ काशी के साधु-संतों के पहुंचने का सिलसिला जारी, महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाएंगें

वाराणसी, जनमुख न्यूज। प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ में अखाड़ों के आराध्य भी आस्था की डुबकी लगाएंगे। काशी के अखाड़ों से साधु-संत, महामंडलेश्वर और श्रीमहंतों के जाने का सिलसिला शुरू हो गया है। ये साधु संत काशी के अखाड़ों के देवता और उनके निशान भी अपने साथ लेकर जा रहे हैं। ये डेढ़ माह तक कुंभनगरी में प्रवास करेंगे।इनकी होती है बढ़चढ़ कर भागीदारी कुंभ मेले में शैव, वैष्णव, उदासीन और सिख परंपरा के कुल १३ अखाड़ों के साधु-संत, महामंडलेश्वर व श्रीमहंत और अनुयायियों की बढ़चढ़ कर भागीदारी होती है। इसमें जूना अखाड़े को श्रेष्ठ माना गया है। क्योंकि इनके साधुओं की तादाद करीब दो लाख है। इस अखाड़े का प्रधान कार्यालय काशी में है। इस अखाड़े के इष्टदेव दत्तात्रेय हैं, जो रुद्रावतार हैं।संन्यासी भी पहुंच रहे मेले में हनुमान घाट स्थित जूना अखाड़े के प्रबंधक दिनेश मिश्रा ने बताया कि महाकुंभ में दत्तात्रेय भगवान की रजत प्रतिमा, भाला निशान नौ दिसंबर को यहां से गया है। इसके अलावा चांदी का हौदा सहित अन्य सामग्रियां भी भेजी जा रही हैं। संन्यासी भी पहुंच रहे हैं। श्रीशंभू पंचदशनाम आह्वान अखाड़े के इष्टदेव भगवान श्रीगणेश जी की भी प्रतिमा कुंभ में जाएगी।

