वाराणसी में गंगा-वरुणा का बढ़ता जलस्तर, घाट जलमग्न; बस्तियों में बाढ़ का संकट गहराया

वाराणसी, जनमुख न्यूज़। वाराणसी और आसपास के तटीय इलाकों में गंगा और वरुणा का जलस्तर लगातार बढ़ने से बाढ़ का खतरा गहराता जा रहा है। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक, गंगा का जलस्तर 70.86 मीटर दर्ज किया गया है, जो कि चेतावनी बिंदु 70.26 मीटर से 60 सेंटीमीटर अधिक है। सबसे चिंता की बात यह है कि गंगा का स्तर हर घंटे लगभग 2 सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ रहा है।
यह एक सप्ताह में दूसरी बार है जब गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। वाराणसी के ऐतिहासिक घाट बाढ़ की चपेट में हैं। दशाश्वमेध घाट पर जल पुलिस चौकी डूबने से बस एक फीट दूर है, जहां श्रद्धालुओं को सतर्क रहने की हिदायत दी जा रही है। अस्सी घाट, मणिकर्णिका घाट, हरिश्चंद्र घाट, सिंधिया घाट, ललिता घाट और नमो घाट पर भी पानी चढ़ चुका है। बुधवार को हरिश्चंद्र घाट की सीढ़ियां पूरी तरह जलमग्न हो गईं। नावों को सुरक्षित रखने के लिए किनारों पर मजबूती से बांध दिया गया है।
गंगा-वरुणा के बढ़ते जलस्तर से किनारे बसे इलाकों की बस्तियां भी प्रभावित हुई हैं। रामपुर स्थित ढाब क्षेत्र की दलित बस्ती पूरी तरह से पानी में घिर गई, जहां से आठ परिवारों के लगभग 50 लोगों को सुरक्षित निकालकर रामपुर प्राथमिक विद्यालय में बनाए गए राहत शिविर में पहुंचाया गया। यहां भोजन, पानी और आवश्यक सुविधाओं का इंतजाम किया गया है।
स्थानीय निवासियों के अनुसार, जुलाई और अगस्त में यह तीसरी बार है जब बाढ़ जैसी स्थिति बनी है। बार-बार बढ़ते जलस्तर से लोगों की गृहस्थी, रोज़गार और दिनचर्या पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गई है। लोग अपने घरों से सामान सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की कोशिश में जुटे हैं, जबकि बच्चे और बुजुर्ग सबसे अधिक परेशानी झेल रहे हैं।

