बिखर गया सोवियत संघ इराक के ख़िलाफ युद्ध

नई दिल्ली, जनमुख न्यूज । एक तरफ मिडिल ईस्ट में जबरदस्त तनाव है वहीं इजरायल लेबनान यमन, ईरान से आक्रमक तरीके से भिड़ता नजर आ रहा है। वहीं दूसरी तरफ इजरायल के पीछे मजबूती से खड़ा अमेरिका इस साल अपने नए राष्ट्रपति को चुनने जा रहा है। रिपबल्किन डोनाल्ड ट्रंप और रिपबल्किन कमला हैरिस के बीच मुकाबला है। ५ नवबंर को होने वाले चुनाव और उसके नतीजे युद्ध के आगोश में जूझती दुनिया के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। नए राष्ट्रपति वर्तमान हालात को कैसे डील करता है। बात अमेरिका के राष्ट्रपति की हो रही है तो आज आपको एक ऐसे अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यकाल से रूबरू करवाते हैं जिनके कार्यकाल में दुनिया कोल्ड वॉर और खाड़ी युद्ध के दौड़ से जूझ रही थी।संयुक्त राज्य अमेरिका के ४१वें राष्ट्रपति जॉर्ज एचडब्ल्यू बुश को एक अनुभवी राजनयिक और व्यावहारिक नेता के रूप में याद किया जाता है। उनका राष्ट्रपति पद का कार्यकाल शीत युद्ध और खाड़ी युद्ध के दौड़ के समापन का कालखंड रहा था। विदेशी मामलों में उनके व्यापक अनुभव और विदेश नीति की सफलताओं के बावजूद बुश के कार्यालय को घरेलू आर्थिक संकटों के कारण विस्तार नहीं मिल सका। नतीजतन १९९२ के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में उनकी हार हुई।जॉर्ज हर्बर्ट वॉकर बुश का जन्म १२ जून, १९२४ को मिल्टन, मैसाचुसेट्स में न्यू इंग्लैंड के एक प्रमुख परिवार में हुआ था। उनके पिता प्रेस्कॉट बुश कनेक्टिकट से अमेरिकी सीनेटर थे, और युवा जॉर्ज का पालन पोषण सार्वजनिक सेवा पर जोर देने के साथ हुआ था। पर्ल हार्बर पर हमले के बाद बुश ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकी नौसेना में भर्ती होने के लिए अपनी विश्वविद्यालय की शिक्षा स्थगित कर दी। महज १८ साल की उम्र में वह सबसे कम उम्र के नौसैनिकों में से एक बन गए। उन्होंने टारपीडो बमवर्षक पायलट के रूप में सेवा की। उन्होंने प्रशांत क्षेत्र में ५८ लड़ाकू अभियानों में उड़ान भरी और विशिष्ट फ्लाइंग क्रॉस अर्जित किया।

