सैटेलाइट से रखी जा रही नजर, फिर भी खेतों में जल रही पराली

आजमगढ़,जनमुख न्यूज। खेतों में पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए कमेटी तो बना दी गई है लेकिन इसका असर नहीं दिख रहा है। बीते चार वर्षों में पराली जलाने के सिर्फ ७९ मामले आए। इससे जहां वातावरण प्रदूषित हो रहा है वहीं, मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी कम हो रही है। खेतों में पराली जलाना अपराध है। इस पर निगरानी रखने के लिए कृषि और राजस्व विभाग के कर्मचारियों की जिला, तहसील, ब्लॉक और गांव स्तर पर निगरानी कमेटी बनाई गई है। साथ ही सैटेलाइट के माध्यम से भी इस पर नजर रखी जा रही है। इसके बाद भी हर साल खेतों में फसल अवशेष जलाने के मामले सामने आ रहे हैं।किसान धान की कटाई के बाद जल्दी रबी फसलों की बोआई के चक्कर में फसल अवशेष खेतों में जला रहे हैं। इसके पीछे किसानों में जागरूकता का भी अभाव है। अधिकांश किसानों को खेतों में पराली प्रबंधन के बारे में जानकारी ही नहीं है। हालांकि पश्चिमांचल की अपेक्षा पूर्वांचल में काफी कम है लेकिन चार सालों में खेतों में अवशेष जलाने के कुल १०७ मामले आए। इसमें ७९ सिर्फ पराली जलाने के थे। जबकि मात्र २८ खरपतवार जलाने के मामले सामने आए हैं। इस वर्ष १९ नवंबर तक नौ पराली जलाने मामले आए हैं।

