निर्भया कांड की बरसी पर काशी में निकला मशाल जुलूस

वाराणसी, जनमुख न्यूज़। निर्भया दिवस के 12वी वर्षगांठ पर लोक समिति के तत्वावधान में सोमवार की रात जिला मुख्यालय कचहरी पर महिलाओं की सुरक्षा की मांग को लेकर पर मशाल जुलूस निकाला।
इस जुलूस में आराजी लाइन और सेवापुरी ब्लाक के कई गांव से आई महिलाओं ने बहादुर लड़की निर्भया को याद करते हुए रात पर भी अपना दावा पेश करने के लिए 16 दिसंबर को अंधेरा होते ही सड़कों पर मशाल जलाते हुए आजादी के गीत गाते हुए जुलूस निकाला। जुलूस का नारा था-“दिन है मेरा, रात भी मेरी, प्रकृति की हर रंगत मेरी” मशाल जुलूस शास्त्री घाट वरुणापुल से प्रारंभ होकर गोलघर कचहरी होते हुए अंबेडकर पार्क तक पहुंचे जहां लोगों ने अम्बेडकर प्रतिमा के सामने दीप जलाकर महिलाओं की सुरक्षा और संविधान रक्षा का संकल्प लिया।
जुलूस के पूर्व न्याय के दीप जलाएं सत्याग्रह स्थल पर जनसभा का आयोजन किया गया। जुलूस का नेतृत्व करते हुए महिला चेतना समिति की संयोजिका रंजू सिंह ने कहा कि अक्सर महिलाओं पर हो रही हिंसा के लिए महिलाओं को ही दोषी ठहराया जाता है। महिलाओं या लड़कियों को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का अधिकार है और काम के सिलसिले में रात में भी घर से बाहर रहना पड़ सकता है तो सड़कों, कार्यस्थलों, पब्लिक कन्वेंस में उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए।
जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार ने आगे कहा कि प्रकृति ने इंसान को सुबह , दोपहर शाम और रात का तोहफा दिया है। जिस पर हर इंसान का बराबर का हक़ है तो क्यों महिलाओं और लड़कियों को इस तोहफे से वंचित किया जा रहा है? क्यों नहीं हमारी सड़कें रात में भी एक महिला और लड़की को डर से आज़ाद कर सकतीं हैं? फासीवादी शासन में महिलाओं पर दमन और शोषण बढ़ता है। देश में महिलाओं पर बढ़ रहे अत्याचार और शोषण के मूल में आरएसएस और भाजपा की पितृसत्तक राजनीति है। आरएसएस में महिलाओं का स्थान नहीं है. जनांदोलनों से समाजवादी समाज बनाने की ओर हमे संकल्प लेना है।
मशाल जुलूस में गांधीवादी विचारक रामधीरज भाई ने कहा कि हमारा भी यही सवाल है, क्यों नहीं कोई महिला रात में भी घर से बाहर निकल सकती? इसलिए कि रात के अंधेरे में शैतान सड़कों पर आ जाते हैं तो उन शैतानों को कैद करने की जरूरत है या औरतों को ही कैद कर देना ठीक है?
सामाजिक कार्यकर्ता नीति ने कहा कि रात की सुरक्षा का सवाल तब बहुत मुखरता से उठा जब, 16 दिसंबर 2012 की काली रात दिल्ली की एक लड़की को चलती बस में इंसान के वेश में छह जालिमों ने अपनी हवस का शिकार ही नहीं बनाया बल्कि उसके शरीर को बुरी तरह रौंद दिया था। इस विभत्स सामूहिक बलात्कार के मामले ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था। उस बहादुर लड़की को “निर्भया” का नाम दिया गया ।
कार्यक्रम में महिलाओं के अधिकारों के लिए सक्रिय रहने वाली सोनी, अनीता, आशा, बेबी, शिवकुमार , पूनम, सीमा, ममता, रामबचन, वल्लभ, अबू और मनीषा, धनंजय त्रिपाठी, विद्याधर मास्टर,सूबेदार,से0अनिल, निहाल आदि लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन लोक समिति संयोजक नन्दलाल मास्टर, अध्यक्षता पूनम और धन्यवाद सोनी ने किया।

