क्या मुंशी प्रेमचंद कठमुल्ला थे?, सीएम के बयान पर नेता विपक्ष ने उठाए सवाल

लखनऊ, जनमुख न्यूज। यूपी विधानसभा की कार्यवाही में अंग्रेजी भाषा को शामिल करने का विरोध करने और उर्दू और संस्कृत को भी शामिल करने की मांग को लेकर मंगलवार को सत्ता पक्ष और विपक्ष में हुई तीखी तकरार के बाद आज नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि हम अंग्रेजी भाषा का विरोध नहीं करते हैं जिसे पढ़ना हो पढ़े पर सदन की कार्यवाही में इसे शामिल नहीं करना चाहिए। ऐसा होने पर ज्यादातर सदस्य इसे समझ नहीं पाएंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सपा पर कठमुल्ला पैदा करने का आरोप लगाने पर कहा कि मैं मुख्यमंत्री से पूछना चाहता हूं कि गोरखपुर में उर्दू के बड़े शायर हुए रम्पत शाह फिराक क्या वो कठमुल्ला थे?, क्या उर्दू में उपन्यास लिखने वाले मुंशी प्रेमचंद कठमुल्ला थे? क्या विश्वविद्यालयों में उर्दू विभाग में पढ़ने वाले कठमुल्ला हैं? क्या अरबी-फारसी विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले लोग कठमुल्ला हैं? मैं इस शब्द पर आपत्ति करता हूं।। उन्होंने कहा कि हम अंग्रेजी का विरोध नहीं कर रहे हैं पर ये चाहते हैं कि सदन की कार्यवाही में अवधी, ब्रज, बुंदेली और भोजपुरी के साथ उर्दू और संस्कृत को भी शामिल किया जाए। सदन की कार्यवाही में अंग्रेजी का प्रयोग उचित नहीं है। अंग्रेजी न तो हमारी संस्कृति की भाषा है और न ही राजभाषा है।
बता दें कि सदन की कार्यवाही में उर्दू भाषा को भी शामिल करने की मांग करने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि सपा के नेता अपने बच्चों को तो अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ाना चाहते हैं पर दूसरों को उर्दू पढ़ाना चाहते हैं। सपा के लोग देश को कठमुल्लापन की ओर ले जाना चाहते हैं।
वहीं आज मुद्दे पर जवाब देते हुए संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने सदन में जवाब दिया कि हम अंग्रेजी भाषा को किसी पर थोपना नहीं चाहते हैं और न ही हम हिंदी भाषा को कमजोर कर रहे हैं। हमारी पार्टी का स्पष्ट मत है कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में ही दी जाए। अंग्रेजी के महत्व को देखते हुए हम सदस्यों को सुविधा दे रहे हैं। अंग्रेजी भाषा किसी पर भी थोपी नहीं जा रही है। सदन का कार्य हिंदी भाषा में ही होगा। सदस्यगण अवधी, ब्रज, बुंदेली और भोजपुरी में अपना संबोधन कर सकते हैं।

