बुनकरों ने निभाई 460 वर्ष पुरानी परंपरा, मुल्क की तरक्की के लिए दुआख्वानी

वाराणसी, जनमुख न्यूज। काशी में आज बुनकरों ने ‘मुर्री’ बंद कर वाराणसी के पुरानापुल पुल्कोहना स्थित ईदगाह में बुनकर बिरादराना तंज़ीम बाईसी के सरदार हाजी हाफिज मोइनुद्दीन उर्फ कल्लू हाफिजी की सदारत में सदियों पुरानी पारंपरिक अगहनी जुमे की नमाज अदा की। नमाज के दौरान सभी अकीदतमंदों ने मुल्क की तरक्की और हिफाजत के लिए दुआख्वानी की।
इस मौके पर सरदार हाजी हाफिज मोइनुद्दीन उर्फ कल्लू हाफिजी ने बताया की अगहन के इस पवित्र महीने में पूरा बुनकर समाज अगहनी जुमे की नमाज हर साल ईदगाह में अपना अपना कारोबार ‘मुर्री’ बंद कर अदा करता है।
उन्होंने बताया कि यह सिलसिला लगभग 460 साल से चला आ रही है उस वक़्त देश के हालात ठीक नहीं थे किसान और बुनकर दोनो समाज के लोग परेशान और बदहाल थे बारिश न होने की वजह से किसान परेशान थे, खेती नही हो रही थी, देश में अकाल पड़ा था जिसके चलते बुनकरों के भी कारोबार नहीं चल रहे थे तब बुनकर समाज के लोगो ने अपना-अपना कारोबार बंद कर ईदगाह में इकठ्ठा हो कर अगहन के महीने में ईदगाह में नमाज़ अदा किया अल्लाह की बारगाह में हाथ फैला कर दुआ की और अल्लाह का करम हुआ और खूब जम कर बारिश हुयी किसानो में खुशी की लहर दौड़ गयी और उसके साथ साथ बुनकरों के कारोबार में भी तेजी आई । तभी से इस परंपरा को बुनकर बिरादराना तंजीम बायीसी निभा रही है ।
बनारस की दूसरी तंज़ीम बुनकर बिरादराना तनजी बावनी के सद्र हाजी मुख़्तार महतो साहब के लड़के फैसल महतो ने बताया की ये अगहनी जुमा की नमाज़ गंगा जमुनी तहजीब की एक जीता जागता सुबूत है। सदियों पहले जब मुल्क के हालात ख़राब थे, सभी वर्ग के लोग परेशान और बदहाल थे तब उस बदहाली और परेशानी को दूर करने के लिए बुनकर समाज के लोग अपने अपने मुर्री बंद कर ईदगाह में नमाज़ अदा कर दुआए की और उस दुआ को असर हुआ चारो तरफ खुशहाली आई। किसान और बुनकर दोनों के कारोबार में बरक्कत हुयी और ये परंपरा आज भी हम सब निभा रहे है।
आपसी भाईचारे का प्रतीक है नमाज के बाद गन्ने की खरीददारी
बुनकर बिरादराना तंजीम बारहों के सरदार हासिम अंसारी ने कहा की हमारे बुनकर समाज ने हमेशा गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की है। बुनकारी के पेशे में हिंदू भाई और मुस्लिम भाई एक साथ मिल कर काम करते है और अगहनी जुमे में भी यही पैगाम देते है। आज के दिन हमारे किसान भाईयों द्वारा उगाई गयी गन्ने को जिसकी दुकान हमारे हिन्दू भाई लगाते है, उन तमाम दुकानो से मुसलमान भाई अगहनी जुमे की नमाज़ अदा कर गन्ना खरीद कर अपने अपने घर ले जाते है। यही हमारा हिंदुस्तान की गंगा जमुनी तहजीब है । तक़रीर मौलाना जाहिर साहब ने की । तक़रीर में मौलाना
आज अगहनी जुमे की नमाज़ मौलाना जहिर साहब ने पढाई और नमाज़ के बाद दुआखानी कर मौलाना साहब ने मुल्की की तरक्की के लिए दुआये की । आपस में भाईचारगी बानी रहे उसके लिए दुआ की बुनकर भाइयो के कारोबार में बरक्कत के लिए दुआ की । मुल्क में सभी को रोजगार मिले उसके लिए दुआ की और हम सब को नेक राह पर चलने की दुआ की और हम सब को नमाज पढ़ने के लिए दुआ की सादगी से शादी हो बिना खर्च के शादी ब्याह हो उसके लिए दुआ की । आज जो घर घर में सभी लोग बीमार है उनकी बीमारी को दूर करने के लिए अल्लाह के बारगाह में हाथ फैला कर सभी ने दुआ की । इस अगहनी जुमा की नमाज में बुनकर बिरादराना तंजीम बायिसी, बावनो, चौतीसो, बारहों, पांचों की तंजीम के लोग अपने अपने काबीना के साथ शामिल हुए ।

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