सिख गुरुओं का बलिदान, उनकी प्रेरणा देश व समाज के लिए उपयोगी-सीएम योगी

लखनऊ, जनमुख न्यूज। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ डीएवी कॉलेज में गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। इस मौके पर उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थितियों से आगे बढ़ते हुए सब कुछ खोने के बाद भी गुरु गोबिंद सिंह ने एक ही बात कही कि चार मुए तो क्या हुआ, जीवित कई हजार… यह मंत्र आज भी पूरे भारत के लिए नई प्रेरणा है। ‘सवा लाख से एक लड़ाऊं, तब गुरु गोबिंद सिंह नाम कहाऊं…’ गुरु परंपरा के प्रति श्रद्धा का यह भाव नई ऊर्जा का संचार और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
सीएम ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह महाराज ने जातिभेद, छूआछूत की भावना को सर्वथा समाप्त करने और देश-धर्म को बचाने के लिए खालसा पंथ की स्थापना की। उन्होंने ‘सकल जगत में, खालसा पंथ गाजे’ का उद्घोष कर देश व धर्म के मार्ग में बाधक उस समय की विधर्मी ताकतों को रास्ते से हटने के लिए कहा। गुरु गोविंद सिंह महाराज शहीद पिता के पुत्र हैं और शहीद पुत्रों के पिता भी हैं। गुरु तेग बहादुर जी महाराज ने देश व धर्म के लिए शहादत दी।
सीएम ने कहा कि गुरु तेग बहादुर सिंह ने अपना शीश दिया, लेकिन भारत का शीश बचा दिया। कश्मीर को बचाया, जो आज भी भारत का हिस्सा है। वजीर खान गुरु गोबिंद सिंह के छोटे साहिबजादों (जोरावर सिंह-फतेह सिंह) से कहता है कि इस्लाम स्वीकार कर लो, लेकिन इन लोगों ने कहा कि यह नहीं हो सकता। इस पर उन्हें जीवित ही दीवारों में चुनवा दिया गया।
सीएम ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी महाराज के ३५०वें शहीदी वर्ष होने के कारण यह वर्ष हमारे लिए महत्वपूर्ण है। जैसे गुरु नानक देव के ५५०वें प्रकाश पर्व को बड़े उत्साह से आयोजित किया गया था, इन आयोजनों को भी इसी तरह बड़े पैमाने पर करने की आवश्यकता है। यदि इन्हें उसी रूप में बढ़ाएंगे तो भावी पीढ़ी पर उपकार होगा और लोगों को इतिहास के बारे में जानकारी मिलेगी। खालसा पंथ, सिख गुरुओं के त्याग- बलिदान के बारे में प्रेरणा प्राप्त होगी।
सीएम ने आह्वान किया कि सिख गुरुओं का बलिदान, उनकी प्रेरणा देश व समाज के लिए उपयोगी बनाने में हम सब अपना योगदान दे पाएंगे।
सीएम योगी ने समागम में आए बच्चों का कुशलक्षेम जाना और टॉफी-चॉकलेट वितरित किया।
इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, कृषि राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख ,अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य परविंदर सिंह, डॉ. गुरमीत सिंह, डॉ. अमरजीत सिंह, राजेंद्र सिंह बग्गा, डॉ. हरजोत सिंह, सतनाम सिंह सोढ़ी, सरदार दलजीत सिंह, पार्षद राजू गांधी, सरदार त्रिलोचन सिंह आदि मौजूद रहे।

