सत्ता संरचना में सभी की भागीदारी जरुरी, पटना से राहुल गांधी ने फिर भरी जातीय जनगगणना के लिए हुंकार

पटना, जनमुख न्यूज। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आज पटना से एक बारी समाज के सभी वर्गो को प्रतिनिधित्व की बात उठायी, जातीय जनगणना पर जोर दिया और बीजेपी व आरएसएस पर हमले किए। राहुल गांधी पटना में वह स्वतंत्रता सेनानी जगलाल चौधरी की जयंती समारोह पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत की सत्ता संरचना में, चाहे वह शिक्षा, स्वास्थ्य, कॉर्पोरेट, व्यवसाय, न्यायपालिका हो, आपकी भागीदारी कितनी है? दलितों को प्रतिनिधित्व दिया गया है, लेकिन अगर सत्ता संरचना में भागीदारी नहीं है तो इसका कोई मतलब नहीं है। यदि निर्णय मंच के पीछे से किए जाते हैं तो आपको मंच पर बैठाने का कोई मतलब नहीं है। आज, विभिन्न जातियों के लोगों को टिकट देना एक फैशन बन गया है, पीएम मोदी भी यही कहते हैं। लेकिन उन्होंने विधायकों की शक्तियां छीन लीं। यहां तक कि लोकसभा सांसदों की भी शक्तियां छीन ली गर्इं।’
कांग्रेस नेता ने कहा कि हम अंबेडकर जी और जगलाल चौधरी जी के विचार और उसूलों की बात करते हैं। लेकिन सवाल है कि अंबेडकर जी और जगलाल चौधरी जी के जो विचार थे, वे कहां से आते थे? सच्चाई ये है कि.. दलितों के दिल में जो दुख और दर्द था, अंबेडकर जी और जगलाल चौधरी जी ने उस आवाज को उठाया था। उन्होंने कहा कि आज भारत के पॉवर स्ट्रक्चर- शिक्षा, स्वास्थ्य, कार्पोरेट या ज्यूडिशरी में दलित वर्ग की कितनी भागीदारी है? भाजपा रिप्रेजेंटेशन की बात करती है, लेकिन भागीदारी के बिना रिप्रेजेंटेशन का कोई मतलब नहीं है।
उन्होंने कहा कि ये बिलकुल ऐसा ही है जैसे मैंने आपके बीच में से पांच लोगों को स्टेज पर बैठा दिया, लेकिन उनके फैसले कहीं और से लिए जा रहे हैं। ऐसे में उन्हें स्टेज पर बैठाने का कोई मतलब नहीं है। मोदी सरकार में भी यही हो रहा है- आप लोगों को मंत्री बना देते हैं, लेकिन ओएसडी तो आरएसएस का होता है। उन्होंने कहा कि देश के बड़े मीडिया हाउस के मालिकों और मैनेजमेंट की लिस्ट निकालिए। उस लिस्ट में आपको एक भी दलित वर्ग का व्यक्ति नहीं मिलेगा, इसीलिए मीडिया में आपके मुद्दे नहीं दिखते हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पटना में आरोप लगाया कि भारत के वर्तमान सत्ता तंत्र और संस्थाओं में दलितों तथा वंचितों की कोई भागीदारी नहीं है। उन्होंने कहा कि दलितों, अल्पसंख्यकों, समाज के कमजोर वर्गों की सटीक संख्या पता लगाने के लिए पूरे भारत में जाति आधारित जनगणना की आवश्यकता है।

